मौन है
मूक देख रहा
शहिद बेचारा मौन है
देख कर देश की हालत
सोच रहा
भ्रष्टाचार रुके
इस देश में
चाहता कौन है
पछता रहा
खोकर अमोल जवानी
उसे पता है जवानी का क्या मोल है
भ्रष्टचार रुके इस देश में चाहता कौन है
देख कर आज
अपने कर्मचारियो अधिकारिओ नेताओ की करनी
सोचता होगा
इस दुनिया में बलिदानों का क्या मोल है
रुके बेईमानी, भ्रष्टआचार
यहा चाहता कौन है
न्याय मांगने वालो से लेकर
न्याय देने वालो तक
लिपटे नज़र आते है
पिडित तो उस दिन से अब तक
पिडित ही नज़र आते है
उनकी पीड़ा मिटे
aअपने देश में भला
चाहता कौन है
इसलिए शहिद बेचारा मौन है .
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