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…और हम बात करते हैं लोकतंत्र की? क्या हमें विश्वास है कि हम वास्तव में लोकतंत्र में रह रहे हैं? एक ऐसा लोकतंत्र जहां इसे एक “JUST FILL IT, SHUT IT and FORGET IT for five years“ व्यवस्था समझा जाता है यानि की जनता 5 सालों के लिये इनकी ग़ुलाम और ये जनता के आका? एक ऐसा लोकतंत्र जिसमें हमने अँग्रेज़ शासकों की जगह भारतीय मूल के “शासक” चुने? एक ऐसा लोकतंत्र जिसमें हम अपने न्यासी (Trustees) और प्रतिनिधि न चुन कर अपने “मालिक”, अपने “स्वामी” और अपने “शासक” चुनते हैं? एक ऐसा लोकतंत्र जिसे आशीर्वाद प्राप्त हो एक चौथाई दागी सांसदों और आधे भ्रष्ट मंत्रिमंडल का? एक ऐसा लोकतंत्र जहां आज राजनीति का अपराधीकरण एक आवश्यक मान्यता बन गयी है? एक ऐसा लोकतंत्र जहां सांसदों, विधायकों और पार्षदों के बेटे, बेटियों और उनके समस्त परिवार जनों को राजनीति के व्यवसाय मे भ्रष्टाचार और लूट के पैसे, बाहुबल, शराब की बोतल, पार्टी के ससाधनों के बल पर प्रवेश करने का सौ प्रतिशत आरक्षण हो? कितने ही भ्रष्ट या अपराधी छवि के हों, पैसे और बन्दूक के बल पर चुनाव इन्हीं को जीतना है। ऐसा लोकतंत्र जहां आज तक शायद ही किसी अपराधी और भ्रष्ट नेता को अनुकरणीय या द्र्ष्टान्त योग्य सज़ा मिली हो? ऐसा लोकतंत्र जहां एक अपराधी नेता को 15 वर्ष की लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद अपराधी घोषित किया गया और तुरन्त ही जमानत पर छोड़ दिया गया? ऐसा लोकतंत्र जहां आसानी से भाषण देते हैं कि राजनीति मे अच्छे व्यक्तियों को आना चाहिये। इन अच्छे व्यक्तियों की सुरक्षा कौन करेगा जब कि देश के आधे सैन्यदल व पुलिस आम आदमी को सड़क पर असुरक्षित छोड़ कर इन असुरक्षित नेताओं और अफ़सरशाही की सुरक्षा में तैनात हैं? ऐसा लोकतंत्र जहां जन सेवक (Public Servants) न केवल 5 साल के लिये बल्कि सदैव के लिये हमारे आका, हमारे मालिक, हमारे हुज़ूर, हमारे अन्नदाता, हमारे माई-बाप बन गये!
इन नेताओं के झूठे और लुभावने वायदों पर विश्वास करने से पहले अपनी अन्तरात्मा की आवाज़ अवश्य सुनें और पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना अमूल्य वोट दें ऐसे अच्छे व्यक्ति को जो कि वर्तमान व्यवस्था मे अच्छे परिवर्तन ला सके और हम सबका अच्छा भविष्य सुनिश्चित कर सके। ईश्वर हमें सबको अपना कर्तव्य पालन में विवेक और सद बुद्धि दें।