देश से बड़ा कोई नहीं हो सकता. अन्ना हजारे भी नहीं
नक्सली और माओवादी हत्यारों तथा उनके द्वारा की जाने वाली सुरक्षा बलों की जघन्य हत्याओं, नृशंस नरसंहारों, उनके द्वारा सरकारी विद्यालयों, अस्पतालों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर आतंकी हमलों की बेशर्म वकालत करने का राष्ट्रद्रोही काम अग्निवेश वर्षो से निर्लज्जतापूर्वक करता आया है. पाकिस्तानी आतंकियों के मानवाधिकार के पक्ष में अपनी छाती पीटते हूए प्रशांत भूषण को खबरिया चैनलों पर अक्सर देखा जा सकता है. इन दोनो की साज़िश से बाबा रामदेव के अपमान और तिरस्कार करने की बातें सामने आ रही है. यह शुभ संकेत नहीं है.
भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है और अन्ना हजारे, किरण बेदी, बाबा रामदेव सरीखे निष्कलंक व्यक्तित्वों के कारण इस मुहिम से जनता जुड़ गई थी. लेकिन देश से बड़ा कोई नहीं हो सकता. अन्ना हजारे भी नहीं कि जिनके कहने पर आतंकियों और निर्दोष नागरिकों तथा सुरक्षा बलों के जवानों के हत्यारों , रेल की पटरियों, स्कूलों, अस्पतालों को बमों से उड़ाने वालों के पैरोकारों को यह देश अपने मस्तक पर बैठा ले. ताज़ा घटनाक्रम के चलते अरविन्द केजरीवाल राज ठाकरे का दूसरा राजनीतिक अवतार बनते दिख रहे है, जो 2014 में काँग्रेस शासन के खात्मे के बाबा रामदेव के राजनीतिक संकल्प को उसी प्रकार ध्वस्त करने का वो राजनीतिक हथियार बनने जा रहे है रहे है जो कांग्रेस की मदद उसी तरह करेगा जिस तरह राज ठाकरे ने कांग्रेस विरोधी शक्तियों की एकता में सेंध लगाकर महाराष्ट्र में की थी. अग्निवेश, प्रशांत भूषण और अरविन्द केजरीवाल की तिकड़ी ने बाबा रामदेव के साथ विश्वासघात कर 2014 के लोकसभा चुनाव में 'मनसे' वाली भूमिका निभाने का पहला संदेश संकेत दे दिया है