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Srivastava.Sudha

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  1. Srivastava.Sudha
    11-24-2011 -
    Srivastava.Sudha
    राहुल को मेरा जवाब

    राहुल बाबा आपको उत्तर प्रदेश के विकास की चुनाव आते ही अचानक बहुत चिन्ता हो गई? है न?

    आप कहते हैं कि इस प्रदेश के नवयुवक यहां पर रोज़गार व शिक्षा के अवसर न होने के कारण महाराष्ट्र व अन्य विकसित प्रदेशों में भीख मांगने जाते हैं क्यों कि बहुजन समाज पार्टी (ब0स0पा0), समाजवादी पार्टी (स0पा0) और भारतीय जनता पार्टी (भा0ज0पा0) ने इस प्रदेश के विकास पर ध्यान नहीं दिया। वे केवल सत्ता में बने रहना चाहते हैं।

    यह तो आज भी सत्य है। पर राहुल बाबा क्या आप अपने परिवार के पुरखों व अपनी काँग्रेस पार्टी को इस अक्षम्य अपराध से मुक्त रखना चाहते हैं? क्या आप सत्ता में वापिस आने के लिये बेचैन नहीं हैं?

    ब0स0पा0, स0पा0 तथा भारतीय जनता पार्टी (भा0ज0पा0) यह कह कर आपका विरोध करते हैं कि हमारे प्रदेश के व्यक्ति बहुत महनती व आत्मसम्मान रखने वाले हैं। भिखारी नहीं। निःसन्देह। लेकिन ये पार्टियां इस तथ्य को स्वीकार नहीं करतीं कि हमारे नवयुवक इस प्रदेश से पलायन इसलिये करते हैं क्योंकि ये पार्टियां अपने प्रदेश के विकास व रोज़गार के अवसर पैदा करने में नितांत असफ़ल रही हैं। वह यह कह कर सन्तोष दिलाना चाहती हैं हमारे नवयुवक बहुत महनती व आत्मसम्मान प्रिय हैं। मैं पूछ्ती हूं कि क्या उन्हे केवल आत्मसम्मान पर ही जीवित रहना होगा क्योंकि मेहनती होते हुए भी अपनी महनत दिखाने व काम करने के अवसर इस प्रदेश में उपलब्ध नहीं हें। और यदि वे भिखारी हैं तो इसका उत्तरदायी कौन है? क्या समय-समय पर उत्तर प्रदेश में शासन करने वाली कोई भी पार्टी इस आरोप से मुक्त है? एक दूसरे पर दोषारोपण करना अलग बात है। आज हमारा बेटा हम बूढों से बहुत दूर कर्नाटक में जीविका कमाने गया है। कितने घरों की यह कहानी है?

    राहुल बाबा क्या आपको आश्चर्य नहीं होता कि जिस प्रदेश ने देश को पन्डित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, चन्द्र शेखर, राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह तथा अटल बिहारी बाजपेयी जैसे 8 प्रधानमन्त्री दिये, वही प्रदेश आज आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछले 6 दशकों से अधिक इतना पिछडा बना हुआ है। हमारे अवसरवादी भ्रष्ट नेता आज हमें केवल आत्मसम्मान के प्रमाणपत्र के अलावा के और कुछ नहीं दे सकते। पिछले 6 दशकों से अधिक अन्तराल में इन सभी नेताओं ने इस प्रदेश को दिल्ली पहुँचने की अपनी सीढी समझा। इसमें आपके पर-नाना, आपकी दादी तथा आपके पिता कोई अपवाद नहीं हैं। इन प्रधानमंत्रियों ने इस प्रदेश के लिये कुछ भी नही किया। इस प्रदेश के लिये उनका प्रेम केवल चुनावों मे ही नज़र आता था। उनकी प्राथमिकता थी महाराष्ट्र, तमिल नाडु, आंध्रप्रदेश, व पंजाब जैसे प्रदेशों का विकास। सुनने में कठोर लगेगा पर मैं मानती हूँ हमारे प्रदेश का नेत्रत्व ही इन प्रधानमंत्रियों के तलवा चाटने वाले व अपने स्वार्थ साधने वाले नेताओं का रहा है। लगभग यही हाल पडोसी राज्य बिहार का भी रहा जिसने देश को पहला राष्ट्रपति दिया।

    हमारे पन्डित गोविन्द बल्लभ पन्त, डाँ सम्पूर्णानन्द, श्री कमलापति त्रिपाठी, श्री चन्द्रभान गुप्त, श्री हेमवती नन्दन बहुगुना, श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे कद्दावर नेताओं को क्या हुआ? ये लोग भ्रष्ट नहीं थे। ये लोग अच्छे व्यक्ति थे। पर वे कमज़ोर, द्रृढता पूर्वक आपके बुज़ुर्गो के सामने न खडे हो पाने वाले और उनकी अभिरुचियों मे हाँ में हाँ मिलानेवाले चापलूस ही बन कर रह गये। सत्ता से प्यार किसे नहीं होता?

    लगभग यही हाल बिहार का भी रहा। सर्वश्री श्री कृष्ण सिंह, दीप नारायण सिंह, बिनोदानन्द झा, के0बी सहाय, महामाया प्रसाद सिन्हा, सतीष प्रसाद सिंह, बी0पी मन्डल, भोला पासवान शास्त्री, हरिहर प्रसाद सिंह, दरोगा प्रसाद राय, कर्पूरी ठाकुर, केदार पाँडे, अब्दुल गफ़ूर, डाँ0 जगन्नाथ मिश्रा, राम सुन्दर दास, चन्द्र शेखर सिंह, बिन्देश्वरी दुबे, भगवत झा आज़ाद, सत्येन्द्र नारायण सिंह, लालू प्रसाद यादव व श्रीमती राबडी देवी जैसे मुख्यमंत्री रहे। इन मे से 16 काँग्रेस पार्टी के रहे। इनके शासन मे विकास नाम की कोई खास चीज़ नही हुई। लेकिन जातिवाद, पिछ्डापन, सामन्तवाद, लूट व भ्रष्टाचार खूब पनपा।

    इस समय बिहार का सौभाग्य है कि उसे नीतिश कुमार में एक ईमानदार, कर्मठ, योग्य मुख्यमंत्री मिला जो कि बिहार के चेहरे पर लगाये दागों को धोने के लिये कटिबद्ध है। उनके मुख्य प्रयासों मे बिहार का विकास, आर्थिक उन्नति, भ्रष्टाचार उन्मूलन, आम आदमी की भागीदारी शामिल है। उनके रहते हुए हम कुछ ही समय में बिहार को हिन्दी क्षेत्र में एक विकसित प्रदेश के रूप में देखेंगे। मैं बिहार निवासियों को प्रणाम करती हूँ जो कि गन्दे नेताओं के बिहार बर्बादी के खेलों को अब अच्छी तरह समझ चुके हैं। हमारे नेता नीतिश का अनुसरण नहीं करना चाहते क्योंकि यह उनकी गन्दी राजनीति को नहीं भाता है। वे बेईमान, अयोग्य, अकुशल, अवसरवादी व भ्रष्ट हैं। राहुल बाबा नीतिश कुमार के ‘मौडल’ को क्यों नहीं अपनाते? याद रखिये कि हमेशा गलत राजनैतिक हथकंडों के परिणाम घातक होते हैं। और खासतौर पर उस समय जब कि सारी जनता ये सारे खेल समझ गयी हो।

    उत्तर प्रदेश को अपनी इस खस्ता और दयनीय हालत से उबारने के लिये आपके पर-नाना, दादी और पिता ने आम चुनावी वायदों के अलावा क्या किया? आपके बुज़ुर्गो ने इस प्रदेश को दूसरे विकसित राज्यों के बराबर लाने, ‘इन्फ़्रास्ट्रकचर’ विकास, औद्योगीकरण, सशक्त आर्थिक ढांचा देने के लिये क्या किया? क्या कभी उन्होनें इस प्रदेश के प्रति वास्तविक आभार प्रकट किया? क्या उनके आभार प्रकट करने का तरीका प्रदेश को पिछडा रखना था? अब क्या आप प्रदेश के लिये दूसरे नीतिश कुमार बनेंगे? लेकिन आपको तो इससे भी बडा काम अपने बुज़ुर्गो की तरह दिल्ली में गद्दी सम्हालने का करना है। क्या आप भी उन्हीं की तरह वही नहीं दोहरा रहे? वही सारी नौटंकी आज भी फूलपुर से हो रही है। फूलपुर आपके लिये दिल्ली चढने की सीढी है ।

    राहुल बाबा छोटे-बडे नेताओं के घिनौने कामों से यह प्रदेश त्रस्त है। सब्र का बांध टूट चुका है। प्रदेश के हर निवासी में बढती हुई आकांक्षाओं की क्रांति, जिसे कि आपके बुज़ुर्गो और काँग्रेस पार्टी ने कुचला था, जाग उठी है। इसी दहकते हुए आक्रोश व असन्तोष ने काँग्रेस पार्टी को दो दशक पहले प्रदेश से बोरिया बिस्तर समेत बाहर फैक दिया था ताकि यह दोबारा वापिस न आ सके। यही हाल आपका बिहार में भी हुआ।

    इस सबके बाद उदय हुआ संयुक्त विधायक दल (स0वि0द0), समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व भारतीय जनता पार्टी के विकल्पों का। क्या आप, आपके बुज़ुर्ग और काँग्रेस पार्टी स्वंय इसके लिये उत्तरदायी नहीं हैं?

    लेकिन यह सब कुछ बहुत सन्तोष का विषय नहीं है। इनमें से कोई भी पार्टी आपकी पार्टी से बहतर साबित नही हुईं। इन्होंने विरोधी दलों की पिछली बैंचों पर बैठ कर आपसे वह सारी “व्यवसायिक ट्रिक्स” सीख ली थीं जो कि एक भ्रष्ट शासन चलाने के लिये आवश्यक होती हैं। आपकी, आपकी पार्टी व आपके बुज़ुर्गो की तरह इन्हें भी प्रदेश से कोई प्रेम या लगाव नहीं है। इनके ह्रदय में किसी दलित, पिछडे, हिन्दू, मुस्लिम, शोषित व गरीब के प्रति कोई प्रेम नहीं है। यह सब तो इनके लिये वोट मांग कर चुनाव जीतने के साधन मात्र हैं। राजनीति इनके लिये एक सर्वोत्तम व्यवसाय है जिसे ये पाखन्डी “सेवा” का नाम देते हैं। जिस नेता को देखो “सेवा” करने को आतुर हैं ताकि संसद व विधान सभा मे पहुँच कर करोड़ों और अरबों बनाये। ज़रा देखो तो सही कि “सेवा” करने के बहाने इन्होंने देश का खजाना लूट-लूट कर खाली कर दिया। रातों रात अरब पति और खरब पति बन गये। विदेशी बैंकों में काला धन जमा कर रहे हैं। दलित, पिछडे, हिन्दू, मुस्लिम, शोषित व गरीब इन्हें वोट देते-देते बद से बदतर हो गये। इनका एक ही मक़सद है:अपना, अपने परिवार का विकास और उन्नति व भाई-भतीजावाद को प्रोत्साहन। प्रदेश के विकास के बारे में सोचना इन्हें आता नहीं। राजनीति का अपराधीकरण कर इन लोगों ने अपनी जगह मज़बूत कर ली है। केन्द्र सरकार व उसकी सी0बी0आई0 से सांठ-गांठ बरकरार है। समय-समय पर केन्द्र सरकार को समर्थन देते रहते हैं। चोर-चोर मौसेरे भाई। इनके “ट्राइल” के लिये कोई “फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट” नहीं है। वर्षों मुक़द्दमे चलते हैं। तब तक यह अपराधी नहीं माने जाते। खूब ऐश करते हैं। बडी मुश्किल से एक सुखराम को सजा हुई है। वह भी शायद आगे जाकर छूट जाएगा।

    ज़रा सोचिए हमारी संसद में 162 दागी सदस्य हैं। इसके अलावा लगभग आधे केन्द्रीय मन्त्री ऐसे हैं जो कि सदेह के दायरे में हैं और अभी तक कोई चार्ज लगने से बचे हुए हैं। सभी आलोचना के जवाब में कहते हैं कि उनके विरोधियों ने उन्हें राजनैतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया है। वाह रे राजनैतिक षड्यंत्र !

    राहुल बाबा यदि जनता को सन्देह हो कि आपका परिवार व निकट सम्बन्धी भी आपके सहयोगी दल के मंत्रियों के साथ मिल कर देश में सुनियोजित ढग से महंगाई बढा कर देश को लूट रहे हैं तो कौन सी संस्था जांच करके जनता के इस सन्देह को दूर करेगी? सारी संस्थाएं तो आपके आधीन हैं। क्या यही सच्चा लोकतंत्र है? क्यों इस देश मे भयावह स्तिथि पैदा कर रहे हैं? यदि आप खुद ईश्वर नहीं तो ईश्वर से डरिये। देश का युवा इस समय दिशाहीन व त्रस्त है। इस समय देश का एक मात्र हितैषी अन्ना जब जन लोकपाल की बात करता है, जांच एजेंसियों को स्वतन्त्र रखने की बात करता है तो आप उसका स्वागत क्यों नहीं करते? क्यों छटपटा जाते हैं? क्यों खामोश रहते हैं? क्या दाल में कुछ काला नहीं हैं?

    दुर्भाग्यवश अपने अज्ञान व निरक्षरता के कारण हम अपने प्रदेश मे अभी तक मूर्ख बने रहे हैं। अब हमें समझना है और अच्छी तरह से समझना है। आपकी दादी ने नारा दिया “गरीबी हटाओ”। आज तक तो गरीबी हटी नहीं। हाँ आप गरीबों को ज़रूर अपने रास्ते से हठा रहे हैं। या फिर आपके सारे मंत्रियों की गरीबी तुरन्त हठ गयी। सारे सांसदों की गरीबी हठ गयी। सब अरबपति और करोड़पति बन गये। ठीक उसी तरह आप भी उत्तर प्रदेश को 10 सालों मे देश का सबसे विकसित राज्य बनाने का वायदा कर रहे हैं। किस आधार पर? आपकी पार्टी के कद्दावर मुख्यमंत्री पन्डित गोविन्द बल्लभ पन्त, डाँ सम्पूर्णानन्द, श्री कमलापति त्रिपाठी, श्री चन्द्रभान गुप्त, श्रीमती सुचेता कृपलानी, श्री त्रिभुवन नारायण सिंह, श्री हेमवती नन्दन बहुगुना, श्री श्री पति मिश्रा, विश्वनाथ प्रताप सिंह, श्री नारायण दत्त तिवारी, श्री वीरभद्र सिंह जिन्होनें अधिक समय तक शासन किया, प्रदेश के लिये क्या किया? क्या आप उनकी भूल सुधारने की कोशिश कर रहे हैं ?

    सभी राजनैतिक पार्टियों द्वारा प्रदेश की उपेक्षा के कारण रोज़गार व शिक्षा के अवसर न होने की वजह से ही हमारे युवा महाराष्ट्र व अन्य विकसित प्रदेशों में पलायन करते हैं। इसके लिये अपने उत्तरदायित्व को भूल कर बहुत बेशर्मी से यही राजनैतिक पार्टियों भारत के संविधान का हवाला देकर ठाकरे बन्धुओं व शीला दीक्षित से झगडा करती हैं जिनके प्रदेशों की अर्थ व्यवस्था इस कारण से प्रभावित होती है। उन्हें इस बात का तनिक भी दुख नहीं होता कि हमारे युवा अपना प्रदेश छोडने के लिये वाध्य हैं इनकी पार्टियों की काली करतूतों के कारण। स्पष्ट कर दूँ कि मैं किसी ठाकरे या शीला दीक्षित की प्रशंसक नहीं हूँ।

    हमारे प्रदेश के लोग क्यों नहीं इन राजनैतिक पार्टियों को सबक सिखाते हैं? कब तक ये पार्टियों आपस में एक दूसरे पर और केन्द्रीय सरकार पर दोषारोपण करके सत्ता में बनी रह कर अपना उल्लू सीधा करती रहेंगी? कब तक ये पार्टियों अपना घिनौना खेल खेल कर हम लोगों को मूर्ख बनाती रहेंगी? कब तक प्रदेश को पिछडा रखने का इनका कार्यक्रम है?

    काश कि अन्ना हर रोग की रामवाण औषधि होते! काश कि हमारे प्रदेश मे ऐसा बडा आन्दोलन हो जो कि इन राजनैतिक दलों को उचित सबक सिखा सके।

    मित्रों जागो और सोचो कि क्या करें। चुनाव का सही लाभ मिल सकता है।
  2. Srivastava.Sudha
    11-24-2011 -
    Srivastava.Sudha
    राहुल को मेरा जवाब

    राहुल बाबा आपको उत्तर प्रदेश के विकास की चुनाव आते ही अचानक बहुत चिन्ता हो गई? है न?

    आप कहते हैं कि इस प्रदेश के नवयुवक यहां पर रोज़गार व शिक्षा के अवसर न होने के कारण महाराष्ट्र व अन्य विकसित प्रदेशों में भीख मांगने जाते हैं क्यों कि बहुजन समाज पार्टी (ब0स0पा0), समाजवादी पार्टी (स0पा0) और भारतीय जनता पार्टी (भा0ज0पा0) ने इस प्रदेश के विकास पर ध्यान नहीं दिया। वे केवल सत्ता में बने रहना चाहते हैं।

    यह तो आज भी सत्य है। पर राहुल बाबा क्या आप अपने परिवार के पुरखों व अपनी काँग्रेस पार्टी को इस अक्षम्य अपराध से मुक्त रखना चाहते हैं? क्या आप सत्ता में वापिस आने के लिये बेचैन नहीं हैं?

    ब0स0पा0, स0पा0 तथा भारतीय जनता पार्टी (भा0ज0पा0) यह कह कर आपका विरोध करते हैं कि हमारे प्रदेश के व्यक्ति बहुत महनती व आत्मसम्मान रखने वाले हैं। भिखारी नहीं। निःसन्देह। लेकिन ये पार्टियां इस तथ्य को स्वीकार नहीं करतीं कि हमारे नवयुवक इस प्रदेश से पलायन इसलिये करते हैं क्योंकि ये पार्टियां अपने प्रदेश के विकास व रोज़गार के अवसर पैदा करने में नितांत असफ़ल रही हैं। वह यह कह कर सन्तोष दिलाना चाहती हैं हमारे नवयुवक बहुत महनती व आत्मसम्मान प्रिय हैं। मैं पूछ्ती हूं कि क्या उन्हे केवल आत्मसम्मान पर ही जीवित रहना होगा क्योंकि मेहनती होते हुए भी अपनी महनत दिखाने व काम करने के अवसर इस प्रदेश में उपलब्ध नहीं हें। और यदि वे भिखारी हैं तो इसका उत्तरदायी कौन है? क्या समय-समय पर उत्तर प्रदेश में शासन करने वाली कोई भी पार्टी इस आरोप से मुक्त है? एक दूसरे पर दोषारोपण करना अलग बात है। आज हमारा बेटा हम बूढों से बहुत दूर कर्नाटक में जीविका कमाने गया है। कितने घरों की यह कहानी है?

    राहुल बाबा क्या आपको आश्चर्य नहीं होता कि जिस प्रदेश ने देश को पन्डित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, चन्द्र शेखर, राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह तथा अटल बिहारी बाजपेयी जैसे 8 प्रधानमन्त्री दिये, वही प्रदेश आज आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछले 6 दशकों से अधिक इतना पिछडा बना हुआ है। हमारे अवसरवादी भ्रष्ट नेता आज हमें केवल आत्मसम्मान के प्रमाणपत्र के अलावा के और कुछ नहीं दे सकते। पिछले 6 दशकों से अधिक अन्तराल में इन सभी नेताओं ने इस प्रदेश को दिल्ली पहुँचने की अपनी सीढी समझा। इसमें आपके पर-नाना, आपकी दादी तथा आपके पिता कोई अपवाद नहीं हैं। इन प्रधानमंत्रियों ने इस प्रदेश के लिये कुछ भी नही किया। इस प्रदेश के लिये उनका प्रेम केवल चुनावों मे ही नज़र आता था। उनकी प्राथमिकता थी महाराष्ट्र, तमिल नाडु, आंध्रप्रदेश, व पंजाब जैसे प्रदेशों का विकास। सुनने में कठोर लगेगा पर मैं मानती हूँ हमारे प्रदेश का नेत्रत्व ही इन प्रधानमंत्रियों के तलवा चाटने वाले व अपने स्वार्थ साधने वाले नेताओं का रहा है। लगभग यही हाल पडोसी राज्य बिहार का भी रहा जिसने देश को पहला राष्ट्रपति दिया।

    हमारे पन्डित गोविन्द बल्लभ पन्त, डाँ सम्पूर्णानन्द, श्री कमलापति त्रिपाठी, श्री चन्द्रभान गुप्त, श्री हेमवती नन्दन बहुगुना, श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे कद्दावर नेताओं को क्या हुआ? ये लोग भ्रष्ट नहीं थे। ये लोग अच्छे व्यक्ति थे। पर वे कमज़ोर, द्रृढता पूर्वक आपके बुज़ुर्गो के सामने न खडे हो पाने वाले और उनकी अभिरुचियों मे हाँ में हाँ मिलानेवाले चापलूस ही बन कर रह गये। सत्ता से प्यार किसे नहीं होता?

    लगभग यही हाल बिहार का भी रहा। सर्वश्री श्री कृष्ण सिंह, दीप नारायण सिंह, बिनोदानन्द झा, के0बी सहाय, महामाया प्रसाद सिन्हा, सतीष प्रसाद सिंह, बी0पी मन्डल, भोला पासवान शास्त्री, हरिहर प्रसाद सिंह, दरोगा प्रसाद राय, कर्पूरी ठाकुर, केदार पाँडे, अब्दुल गफ़ूर, डाँ0 जगन्नाथ मिश्रा, राम सुन्दर दास, चन्द्र शेखर सिंह, बिन्देश्वरी दुबे, भगवत झा आज़ाद, सत्येन्द्र नारायण सिंह, लालू प्रसाद यादव व श्रीमती राबडी देवी जैसे मुख्यमंत्री रहे। इन मे से 16 काँग्रेस पार्टी के रहे। इनके शासन मे विकास नाम की कोई खास चीज़ नही हुई। लेकिन जातिवाद, पिछ्डापन, सामन्तवाद, लूट व भ्रष्टाचार खूब पनपा।

    इस समय बिहार का सौभाग्य है कि उसे नीतिश कुमार में एक ईमानदार, कर्मठ, योग्य मुख्यमंत्री मिला जो कि बिहार के चेहरे पर लगाये दागों को धोने के लिये कटिबद्ध है। उनके मुख्य प्रयासों मे बिहार का विकास, आर्थिक उन्नति, भ्रष्टाचार उन्मूलन, आम आदमी की भागीदारी शामिल है। उनके रहते हुए हम कुछ ही समय में बिहार को हिन्दी क्षेत्र में एक विकसित प्रदेश के रूप में देखेंगे। मैं बिहार निवासियों को प्रणाम करती हूँ जो कि गन्दे नेताओं के बिहार बर्बादी के खेलों को अब अच्छी तरह समझ चुके हैं। हमारे नेता नीतिश का अनुसरण नहीं करना चाहते क्योंकि यह उनकी गन्दी राजनीति को नहीं भाता है। वे बेईमान, अयोग्य, अकुशल, अवसरवादी व भ्रष्ट हैं। राहुल बाबा नीतिश कुमार के ‘मौडल’ को क्यों नहीं अपनाते? याद रखिये कि हमेशा गलत राजनैतिक हथकंडों के परिणाम घातक होते हैं। और खासतौर पर उस समय जब कि सारी जनता ये सारे खेल समझ गयी हो।

    उत्तर प्रदेश को अपनी इस खस्ता और दयनीय हालत से उबारने के लिये आपके पर-नाना, दादी और पिता ने आम चुनावी वायदों के अलावा क्या किया? आपके बुज़ुर्गो ने इस प्रदेश को दूसरे विकसित राज्यों के बराबर लाने, ‘इन्फ़्रास्ट्रकचर’ विकास, औद्योगीकरण, सशक्त आर्थिक ढांचा देने के लिये क्या किया? क्या कभी उन्होनें इस प्रदेश के प्रति वास्तविक आभार प्रकट किया? क्या उनके आभार प्रकट करने का तरीका प्रदेश को पिछडा रखना था? अब क्या आप प्रदेश के लिये दूसरे नीतिश कुमार बनेंगे? लेकिन आपको तो इससे भी बडा काम अपने बुज़ुर्गो की तरह दिल्ली में गद्दी सम्हालने का करना है। क्या आप भी उन्हीं की तरह वही नहीं दोहरा रहे? वही सारी नौटंकी आज भी फूलपुर से हो रही है। फूलपुर आपके लिये दिल्ली चढने की सीढी है ।

    राहुल बाबा छोटे-बडे नेताओं के घिनौने कामों से यह प्रदेश त्रस्त है। सब्र का बांध टूट चुका है। प्रदेश के हर निवासी में बढती हुई आकांक्षाओं की क्रांति, जिसे कि आपके बुज़ुर्गो और काँग्रेस पार्टी ने कुचला था, जाग उठी है। इसी दहकते हुए आक्रोश व असन्तोष ने काँग्रेस पार्टी को दो दशक पहले प्रदेश से बोरिया बिस्तर समेत बाहर फैक दिया था ताकि यह दोबारा वापिस न आ सके। यही हाल आपका बिहार में भी हुआ।

    इस सबके बाद उदय हुआ संयुक्त विधायक दल (स0वि0द0), समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व भारतीय जनता पार्टी के विकल्पों का। क्या आप, आपके बुज़ुर्ग और काँग्रेस पार्टी स्वंय इसके लिये उत्तरदायी नहीं हैं?

    लेकिन यह सब कुछ बहुत सन्तोष का विषय नहीं है। इनमें से कोई भी पार्टी आपकी पार्टी से बहतर साबित नही हुईं। इन्होंने विरोधी दलों की पिछली बैंचों पर बैठ कर आपसे वह सारी “व्यवसायिक ट्रिक्स” सीख ली थीं जो कि एक भ्रष्ट शासन चलाने के लिये आवश्यक होती हैं। आपकी, आपकी पार्टी व आपके बुज़ुर्गो की तरह इन्हें भी प्रदेश से कोई प्रेम या लगाव नहीं है। इनके ह्रदय में किसी दलित, पिछडे, हिन्दू, मुस्लिम, शोषित व गरीब के प्रति कोई प्रेम नहीं है। यह सब तो इनके लिये वोट मांग कर चुनाव जीतने के साधन मात्र हैं। राजनीति इनके लिये एक सर्वोत्तम व्यवसाय है जिसे ये पाखन्डी “सेवा” का नाम देते हैं। जिस नेता को देखो “सेवा” करने को आतुर हैं ताकि संसद व विधान सभा मे पहुँच कर करोड़ों और अरबों बनाये। ज़रा देखो तो सही कि “सेवा” करने के बहाने इन्होंने देश का खजाना लूट-लूट कर खाली कर दिया। रातों रात अरब पति और खरब पति बन गये। विदेशी बैंकों में काला धन जमा कर रहे हैं। दलित, पिछडे, हिन्दू, मुस्लिम, शोषित व गरीब इन्हें वोट देते-देते बद से बदतर हो गये। इनका एक ही मक़सद है:अपना, अपने परिवार का विकास और उन्नति व भाई-भतीजावाद को प्रोत्साहन। प्रदेश के विकास के बारे में सोचना इन्हें आता नहीं। राजनीति का अपराधीकरण कर इन लोगों ने अपनी जगह मज़बूत कर ली है। केन्द्र सरकार व उसकी सी0बी0आई0 से सांठ-गांठ बरकरार है। समय-समय पर केन्द्र सरकार को समर्थन देते रहते हैं। चोर-चोर मौसेरे भाई। इनके “ट्राइल” के लिये कोई “फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट” नहीं है। वर्षों मुक़द्दमे चलते हैं। तब तक यह अपराधी नहीं माने जाते। खूब ऐश करते हैं। बडी मुश्किल से एक सुखराम को सजा हुई है। वह भी शायद आगे जाकर छूट जाएगा।

    ज़रा सोचिए हमारी संसद में 162 दागी सदस्य हैं। इसके अलावा लगभग आधे केन्द्रीय मन्त्री ऐसे हैं जो कि सदेह के दायरे में हैं और अभी तक कोई चार्ज लगने से बचे हुए हैं। सभी आलोचना के जवाब में कहते हैं कि उनके विरोधियों ने उन्हें राजनैतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया है। वाह रे राजनैतिक षड्यंत्र !

    राहुल बाबा यदि जनता को सन्देह हो कि आपका परिवार व निकट सम्बन्धी भी आपके सहयोगी दल के मंत्रियों के साथ मिल कर देश में सुनियोजित ढग से महंगाई बढा कर देश को लूट रहे हैं तो कौन सी संस्था जांच करके जनता के इस सन्देह को दूर करेगी? सारी संस्थाएं तो आपके आधीन हैं। क्या यही सच्चा लोकतंत्र है? क्यों इस देश मे भयावह स्तिथि पैदा कर रहे हैं? यदि आप खुद ईश्वर नहीं तो ईश्वर से डरिये। देश का युवा इस समय दिशाहीन व त्रस्त है। इस समय देश का एक मात्र हितैषी अन्ना जब जन लोकपाल की बात करता है, जांच एजेंसियों को स्वतन्त्र रखने की बात करता है तो आप उसका स्वागत क्यों नहीं करते? क्यों छटपटा जाते हैं? क्यों खामोश रहते हैं? क्या दाल में कुछ काला नहीं हैं?

    दुर्भाग्यवश अपने अज्ञान व निरक्षरता के कारण हम अपने प्रदेश मे अभी तक मूर्ख बने रहे हैं। अब हमें समझना है और अच्छी तरह से समझना है। आपकी दादी ने नारा दिया “गरीबी हटाओ”। आज तक तो गरीबी हटी नहीं। हाँ आप गरीबों को ज़रूर अपने रास्ते से हठा रहे हैं। या फिर आपके सारे मंत्रियों की गरीबी तुरन्त हठ गयी। सारे सांसदों की गरीबी हठ गयी। सब अरबपति और करोड़पति बन गये। ठीक उसी तरह आप भी उत्तर प्रदेश को 10 सालों मे देश का सबसे विकसित राज्य बनाने का वायदा कर रहे हैं। किस आधार पर? आपकी पार्टी के कद्दावर मुख्यमंत्री पन्डित गोविन्द बल्लभ पन्त, डाँ सम्पूर्णानन्द, श्री कमलापति त्रिपाठी, श्री चन्द्रभान गुप्त, श्रीमती सुचेता कृपलानी, श्री त्रिभुवन नारायण सिंह, श्री हेमवती नन्दन बहुगुना, श्री श्री पति मिश्रा, विश्वनाथ प्रताप सिंह, श्री नारायण दत्त तिवारी, श्री वीरभद्र सिंह जिन्होनें अधिक समय तक शासन किया, प्रदेश के लिये क्या किया? क्या आप उनकी भूल सुधारने की कोशिश कर रहे हैं ?

    सभी राजनैतिक पार्टियों द्वारा प्रदेश की उपेक्षा के कारण रोज़गार व शिक्षा के अवसर न होने की वजह से ही हमारे युवा महाराष्ट्र व अन्य विकसित प्रदेशों में पलायन करते हैं। इसके लिये अपने उत्तरदायित्व को भूल कर बहुत बेशर्मी से यही राजनैतिक पार्टियों भारत के संविधान का हवाला देकर ठाकरे बन्धुओं व शीला दीक्षित से झगडा करती हैं जिनके प्रदेशों की अर्थ व्यवस्था इस कारण से प्रभावित होती है। उन्हें इस बात का तनिक भी दुख नहीं होता कि हमारे युवा अपना प्रदेश छोडने के लिये वाध्य हैं इनकी पार्टियों की काली करतूतों के कारण। स्पष्ट कर दूँ कि मैं किसी ठाकरे या शीला दीक्षित की प्रशंसक नहीं हूँ।

    हमारे प्रदेश के लोग क्यों नहीं इन राजनैतिक पार्टियों को सबक सिखाते हैं? कब तक ये पार्टियों आपस में एक दूसरे पर और केन्द्रीय सरकार पर दोषारोपण करके सत्ता में बनी रह कर अपना उल्लू सीधा करती रहेंगी? कब तक ये पार्टियों अपना घिनौना खेल खेल कर हम लोगों को मूर्ख बनाती रहेंगी? कब तक प्रदेश को पिछडा रखने का इनका कार्यक्रम है?

    काश कि अन्ना हर रोग की रामवाण औषधि होते! काश कि हमारे प्रदेश मे ऐसा बडा आन्दोलन हो जो कि इन राजनैतिक दलों को उचित सबक सिखा सके।

    मित्रों जागो और सोचो कि क्या करें। चुनाव का सही लाभ मिल सकता है।

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    Sudha Srivastava
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