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07-04-2011
shambhuji's Avatar
shambhuji
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: Jun 2011
: Kolkata
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Talking व्यंग्यः सांप भी मर जाय..... - शम्भु चौधरी

मेरी माने तो संसद में लोकपाल बिल पर कानून लायें या न लायें जल्दी से एक अनशन कानून तो बना ही डालें। ताकी लोकतंत्र में इस हथियार का प्रयोग भविष्य में कोई न कर सके। खास कर सरकार के खिलाफ तो बिल्कुल भी नहीं। जिसे इस हथियार का प्रयोग करना है वह पहले संबन्धित सरकार से अनुमति प्राप्त कर लें अन्यथा इसे लोकतंत्र के खिलाफ और संसद की अवमान्यना मानते हुए उन लोगों पर देश द्रोह का मुकद्दमा चलाया जायेगा। रवाअअआ वोअ कहावत सुनलेअअ हैय कि नाहीं ‘‘सांप भी मर जाय और लाठी भी न भाजनी पड़े।’’

सावन का महीना पवन करे सोर अरे ssss बाबा सोsssर नहीं शोर... शोर हाँ! ऐसे। जियरारे झूमे ऐसे जैसे मनवा नाचे मोर। अब रवाके गाना सूझेतानी कोsss? तब तूहिये बोलो बबवा का करी। लोकतंत्र में जै चुने जात है सैहिये ने देश के सिपाही बाड़े देश कै रक्षा करे खातीर बाकी सब तो हिजड़ा बानी उके बोले के कोनो अधिकार नैखे....तब गाना न गोsssई तो कोsss कररी। कुछ लिखो- पढ़अ...। भारत के संविधान पढ़ले बानी की नाईsss? ‘‘अखनी देश में 64 साल बाद बाबा अम्बेदकर कै याद कर रहैल तानी सब कोsssई खास कर कांग्रेसियन लोग।’’ sss कोsssअ बोले तानी? बतावह न कोsss बात बा पहेली न बुझावह। ‘‘देखे इमें पहेली बुझे कै कोनु बात नैइखे बा। ‘‘तब कोsss लिखले बाड़े जल्दी बतावह’’ उमें लिखले बोsss -‘‘कोsss’’ छोड़ो अनपढ़ गांवार के ई सब नैखे पढ़े कै और सुने कै... देश के पवित्र संविधान बाड़े। चुप करह केहु सुन ली... दीवार के भी कान बानी... जेल जाअअवे के मन है काअअ? जिकरा कसम खाईके देश के लुटल जाअअई। उमें साफ-साफ लिखले है कि लोकतंत्र कैअअ मतलब बाअअ ‘‘जनता की सरकार, जनता के लिए और जनता द्वारा’’ इमें आगे पीछे कोनो माने लिखल नैईखे। सो जै सरकार में रही वही देश के लुटे के अधिकारी बानी। अच्छअअआअब हमनी कै साफ होग्यैल ईं चुने शब्द पर बार-बार जोर काहे को देत रहैल बाड़ै।
..साला भोजपुरी लिखे के चक्कर में हमनी तो असली बातें करना ही भूल गये। रामलीला मैदान में आधी रात को चोर की तरह सरकारी सिपाही आये लाठियां बरसाई अश्रु गैस के गोले दागे। भ्रष्टाचार संरक्षक समिति के सदस्यों की दलील है कि बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान योग के लिए भाड़े पर लिया था उस पर तम्बू लगाकर सरकार को गाली देने के लिए नहीं दिया गया था, सो उनको समय दिया गया कि वे शाम तक अपना सरकारी सह पर किया गया नाटक समाप्त कर दें। जब उन्होंने हमारी बात मानने से इंकार कर दिया तो हमें लाचारी में यह कार्रवाई करनी पड़ी। तो भाई! रात को ही क्या जल्दी थी यह काम तो सुबह पाँच बजे के बाद भी किया जा सकता था। ये अलग बात है कि सरकार की मंशा अंधेरे में देश को अंधेरे में रखना था तो अपनी बात को अब जायज ठहराने के लिए कुछ तो कहना ही है। चलिये ये बात आपकी मान लेतें हैं कि बाबा रामदेव का यह अनशन कानूनी रूप से अवैध था। पर अन्ना हजारे के आगामी अनशन पर जबकि अभी तो सिर्फ आपको चमका रहें हैं, अभी से ही आपलोग क्यों बिदके हुए हैं कोई इसे लोकतंत्र पर हमला करार दे रहा है तो कोई इसे संसद को चुनौती देना मान रहा है। कोई अभी से धमका रहा है तो कोई बाबा अम्बेदकर को सामने ला रहा है। मानो देश की 130 करोड़ जनता मुर्ख और चुने हुए चतुरानन्द सांसद चालाक? कपिल जी, प्रणब जी, सलमान साहेब, 3जी के घेरे में आने वाले हमारे गृहमंत्री श्री चिदम्बरम जी सबके-सब बारी-बारी से अन्ना व उनकी टीम पर हमला करने में लगे हैं। अभी से अनशन पर बहस चला रहें है कि इसका इस्तेमाल कैसे और कौन कर सकता है। मेरी माने तो संसद में लोकपाल बिल पर कानून लायें या न लायें जल्दी से एक अनशन कानून तो बना ही डालें। ताकी लोकतंत्र में इस हथियार का प्रयोग भविष्य में कोई न कर सके। खास कर सरकार के खिलाफ तो बिल्कुल भी नहीं। जिसे इस हथियारका प्रयोग करना है वह पहले संबन्धित सरकार से अनुमति प्राप्त कर लें अन्यथा इसे लोकतंत्र के खिलाफ और संसद की अवमान्यना मानते हुए उन लोगों पर देश द्रोह का मुकद्दमा चलाया जायेगा। रवाअअआ वोअ कहावत सुनलेअअ हैय कि नाहीं ‘‘सांप भी मर जाय और लाठी भी न भाजनी पड़े।’’