08-20-2011
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Junior Member
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: Aug 2011
: ghaziabad
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Anna with Public v/s sarkar with bhrstrachar
किसी भी देश की दिशा, दशा की पूरी ज़िम्मेदारी जनता द्वारा वहाँ की चुनी हुई सरकार की होती है! परंतु आज के संधर्भ में सरकार की कोई प्लॅनिंग नही रही जबकि बार बार अन्ना हज़ारे और उनके सभी साथी पीछले 4-5 महीने से लगातार हर माध्यम से बता रहे थे और सरकार में शामिल मंत्री उनका मज़ाक बना रहे थे, उनसे बात करने के सारे विकल्प भी बंद किए, भाषा भी उग्र होती गयी! इतने काबिल लोगों को अभी तक एक भी रास्ता नही मिला है या कह लीजिए की रास्ता पूरी तरह से साफ है ये ही आँख बंद किए हुए है, अन्ना की मुहिम से जुड़ने में ही समझदारी है, क्योंकि हवा के खिलाफ किसी भी सरकार को नही चलना चाहिए! पर हक़ीकत ये है कि ये चाहकर भी अन्ना के साथ नही जुड़ सकते, क्योंकि 2जी जैसे घोटाले में प्रधानमंत्री पर भी उंगली उठ सकती है अगर प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे में हो चिदंबरम भी नही बचेगा, शीला भी जाएगी, या ये कह लीजिए कि ज़्यादातर लोग जो सरकारी स्थानो पर आसीन है उनके लिए संभव नही जनलोकपाल का पूरा स्वरूप लाना! सरकार के आधे पद रिक्त हो जाएँगे! उधर अन्ना और उनके साथियो को भी अपने ड्राफ्ट में ज़्यादा छेड़छाड़ करने की इच्छा नही और ये सही भी है! आख़िर पैसा तो जनता का ही है वोट और नोट दोनों जनता के ही है सरकार को दिए हुए! कुल मिलाकर अभी टकराव की स्थिति बनी रहेगी क्योंकि संसद सत्र भी सिर्फ़ 8 सितम्बर तक ही है और सरकार सिर्फ़ ये जो बुरा वक़्त है उनके लिए उसे टालने या काटने पर ही काम कर रही है ब्यान चाहे कुछ भी आए! परन्तु ये भारत में आने वाली क्रांति का प्रतीक मात्र है और ना अब सरकार और ना अब कोई और इस जनसैलाब में कितना और इज़ाफा होगा ये कोई भी दावा नही कर सकता , भगवान ना करे की ये उग्र हो जाए(जिसकी आहट साफ तौर पर दिख रही है) क्योंकि हर व्यक्ति के बर्दाश्त की हद है, एक ही पत्थर काफ़ी होता है पब्लिक को उग्र करने के लिए (अरब में वही हुआ इस साल) ....... सुनहरा वक़्त सरकार बर्बाद कर चुकी है अभी सरकार को संभलना होगा, समझना होगा वो भी बहुत कम समय में! जो संभव हो करो अपनी, देश की जनता के भले के लिए, वरना बहुत जल्द इतिहास बन जाओगे! जय हिंद.........
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