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  #2  
04-17-2011
Ankitlal
Junior Member
 
: Apr 2011
: Ghaziabad
:
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Thumbs up Continued...

क्या जन शिक़ायतों को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए? इससे तो लोकपाल का काम बोझिल और दुष्कर हो जाएगा।
जन लोकपाल के अंतर्गत जन शिक़ायतों से निपटने के लिए निम्नलिखित व्यवस्था होगी:
1. हर विभाग अपने नागरिक चार्टर को दोबारा तैयार करे। इसमें इस बात का ज़िक्र हो कि किसी नागरिक का कोई काम कितने समय में पूरा कर दिया जाएगा और इस काम को करने के लिए कौन सा अधिकारी ज़िम्मेदार है।
2. अगर कोई नागरिक सिटिजन्स चार्टर में लिखित बातों के हिसाब से अपना काम पूरा होता नहीं पाता है, तो वह उस अधिकारी के ख़िलाफ़ जन शिक़ायत अधिकारी के पास शिक़ायत कर सकता है। जन लोकपाल बिल के तहत हर विभाग को जन शिक़ायत अधिकारी के रूप में एक वरिष्ठ अधिकारी हर केंद्र पर तैनात करना होगा।
3. जन शिक़ायत अधिकारी को शिक़ायतों का निपटारा अगले 30 दिनों के भीतर करना होगा।
4. अगर जन शिक़ायत अधिकारी ऐसा नहीं करता है, तो वह नागरिक विजिलेंस ऑफिसर के पास जा सकता है। यह विजिलेंस अधिकारी भले ही उस विभाग में तैनात हो, लेकिन वह लोकपाल की तरफ से होगा। (कृपया ध्यान दें कि हम तमाम विभागों की विजिलेंस विंग्स को लोकपाल के अंतर्गत लाने की बात कह रहे हैं। विभागीय विजिलेंस विंग्स की तरफ़ से ज़्यादातर केंद्रों पर विजिलेंस अफ़सर तैनात होते हैं। अगर कहीं अफ़सर नहीं हैं, तो लोकपाल विजिलेंस अफ़सरों की नियुक्ति करेगा)
5. अगर कोई शिक़ायत विजिलेंस अफ़सर तक पहुंचती है, तो यह मान लिया जाए कि शिक़ायत का निपटारा इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि इसके बदले में रिश्वत की मांग या उम्मीद की गई है।
6. विजिलेंस अफ़सर की ज़िम्मेदारी होगी कि वह शिक़ायत का निपटारा 30 दिनों के भीतर करे। साथ ही जन शिक़ायत अधिकारी और उस अधिकारी के ख़िलाफ़ जुर्माना भी लगाए जिसने नागरिक चार्टर के हिसाब से काम नहीं किया। इस तरह वसूल की गई जुर्माने की रक़म को शिक़ायतकर्ता को मुआवज़े देने और प्रकिया के ख़र्चों के भुगतान के रूप में इस्तेमाल किया जाए।
7. अगर शिक़ायतकर्ता विजिलेंस अधिकारी से भी संतुष्ट नहीं होता है, तो वह मुख्य सतर्कता अधिकारी यानी सीवीसी के पास जा सकता है, जोकि अंतिम पड़ाव है।

यानी कोई भी शिक़ायत सीधे लोकपाल सदस्यों तक नहीं पहुंचेगी। इस तरह की आशंकाएं कि लोकपाल के पास हज़ारों शिक़ायतें पहुंचेंगी और यह व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी, पूरी तरह निराधार हैं। हर विभाग की तरफ़ से हर केंद्र पर एक विजिलेंस अफ़सर होगा। जन शिक़ायतों का अंबार लोकपाल की पूरी व्यवस्था को बाधित नहीं करेगा। हां संभव है कि कुछ जगहों पर कुछ विजिलेंस अफ़सरों के पास शिक़ायतें ज़्यादा पुहंचने लगें। ऐसी सूरत में अगर लोकपाल ज़रूरी समझे तो उसे और विजिलेंस अफसरों की नियुक्ति का अधिकार होगा। साथ ही हम सिर्फ़ उन्हीं शिक़ायतों को लोकपाल के दायरे में रखेंगे, जिनका ज़िक्र नागरिक चार्टर में होगा।



वन्दे मातरम,
Ankit Lal,
IAC.