"कल्पना की उड़ान आज़ की आवश्यकता"
भावुकता अर्थात् कल्पना से प्रभावित होना बुद्धि का अच्छा गुण है। जिस व्यक्ति के मस्तिष्क में कल्पना की उड़ान नहीं उड़ती और विभिन्न प्रकार के मानस चित्र नहीं बनते एवं जैसी-तैसी स्थिति में ही संतुष्ट रहकर, जो उससे आगे की बात सोचने की जरूरत नहीं समझता, उसे पशु ही समझना चाहिए! बुद्धि, यथार्थ में कल्पना का एक संस्कारित स्वरूप है। सारी व्यवस्था के कल्पना चित्र आरंभ में आप बनावेंगे और यदि निर्णय शक्ति ठीक हुई, अनुभव के आधार पर इस कल्पना में ठीक संशोधन कर सके, तो एक उत्तम योजना बन जावेगी और उसे कार्य रूप में लाकर लाभ उठाया जा सकेगा । अगर आज़ हम सबने बाबा रामदेव और अन्ना के साथ मिलकर यह कल्पना करी है कि अपने देश को भ्रष्ट लोगों से मुक्ति दिलवानी है तो निश्चित तौर पर यह कल्पना पूर्ण होगी! बाबा रामदेव एक योगी ही नहीं अपितु पूर्णतया कर्मयोगी भी हैं !जिस तरह से मनमोहन सरकार ने उनकी तरफ भी अन्ना जी भाँति आँखें मूंद ली थी बाबा ने एक ही झटके में इस सरकार की नींद खराब कर दी ! तो चलो और बाबा और अन्ना के इस पुनीत कार्य में बढ़चढ़ कर भाग लें ! जय हिंद !
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