भारतीय राजीनित को एक विकल्प चाहिए
पिछले एक वर्ष से हो रहे ‘भारत भ्रष्टाचार विरोध’ के अभियान में भारतीय जनता ने अपना पूर्ण समर्थन श्री किशन बाबू ‘अन्ना’ हजारे और उनके संगठन को दिया है | आज इस आंदोलन को किसी परिचय कि अवश्यकता नहीं है और न ही इस आंदोलन से जुड़े हुए मुख्य लोग किसी परिचय के मोहताज हैं | इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले हैं श्री अन्ना हजारे और उसे इस मुकाम तक लाने वाले है श्री अरविंद केजरीवाल, श्री शांति भूषण, श्री किरण बेदी, श्री मनीष शिशोदिया, श्री संतोष हेगडे, श्री गोपाल राय और श्री कुमार विश्वास और न जाने और कितने लोग जिनके नाम टेलीविजन या अखबारों में तो नहीं आते लेकिन वो निरंतर अपना पूरा समय और निष्ठा इस आंदोलन के लिए दे रहे हैं |
अब टीम अन्ना एक वर्ष से भी अधिक समय से आन्दोलन कर रही है लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला | अपनी पुरानी लोकपाल बनवाने कि बात को मुखर और दृढ रूप में आगे रखने के लिए अन्ना टीम के तीन सदस्यों ने आमरण अनशन शुरू किया जो कि आज २ अगस्त को अनशन के दशवें दिन में प्रवेश कर रहा है | अपने टेलीविजन कि स्क्रीन पर मैं देख सकता हूँ कि कैसे श्री अनुपम खेर ने मंच पर आकर टीम अन्ना को एक राजनीतिक नेतृत्व संभलाने के लिए आग्रह किया | यह आग्रह भारत कि जनता बड़े समय से करती रही है | एक वर्ष के निरंतर आंदोलनों और वार्ताओं से भी इस राष्ट्र को चलाने वाले नेता इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पा रहे हैं कि उन्हें वास्तव में करना क्या है | वैसे हो सकता है कि वो अपने निष्कर्ष पर पहले ही पहुँच चुके हो और जो कि होगा कि इस देश कि जनता को इसके इसी हाल में छोंड दो | अगर कोई दो चार लोग भूंख से मरते हैं तो इसमे नयी बात क्या है | इस देश में रोज ना जाने कितने लोग भूंख से मरते है अगर दो चार लोग और मर जायेंगे तो क्या हो जायेगा | परन्तु ऐसा सोंचने वालों को एक बात पता होनी चाहिए कि ये आंदोलन अपने आखरी नहीं बल्कि पहले पायदान पर खडा है | इसका पहला काम था जनता को जागरूक करना | सोई हुयी भारत कि शक्ति यानि स्वयं एक भारतीय हो उसकी कुम्भकर्णी नींद से उठाकर सुबह का सूरज दिखाना | जनता कि आत्मा मरी नहीं है बल्कि जीवन कि उहा पोह में वो शायद अपनी मनुष्यता को थोड़ी देर के लिए भूल जाता है और उसी का फायदा उठा ले जाते हैं वो लोग जो हमारे नेता , हमारे रक्क्षक होने का दावा करते हैं |
हो सकता है कि अन्ना टीम ये कहे कि वो राजनीति में नहीं आना चाहते है परन्तु यदि वो जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते थे तो उन्हे जनता को क्यों उठाया ? सोते रहने देते , छोंड देते उन्हें उनके हाल में | यदि आज अन्ना टीम इस राष्ट्र को जनतांत्रिक विकल्प नहीं देगी तो ये जनता इन्हें कभी माफ नहीं करेगी | अन्ना टीम को एक विशाल राजीनीतिक धरातल तैयार करना होगा जिस पर नए भारत के निर्माण कि नीव का पहला पत्थर रखा जा सके | राजीनित पार्टी भर बना लेने से कोई प्रधानमत्री नहीं बन जाता लेकिन राजनीती में शामिल हुए बिना भी कोई प्रधानमंत्री नहीं बन जाता | इस राष्ट्र को एक अच्छे और ईमानदार नेतृत्व कि बहुत आवश्यकता है और यह सबसे सही समय होगा जब इस राष्ट्र को एक राजीनीतिक विकल्प दिया जाये | सम्पूर्ण राष्ट्र राष्ट्रीयता के रंगों से सराबोर है | इस राष्ट्र कि कलाई में राखी बांधकर इसकी रक्षा कि जिम्मेदारी लेने का समय आ गया है | भारत का तिरंगा हाँथ में लेकर एक बार फिर से ‘मेरा भारत महान है’ कहने का समय यही सही समय है | जो शारीरिक रूप से आनदोलण में नहीं है वो भी दिल से चाहते हैं कि कुछ तो ऐसा हो इस देश में कि यहाँ फैली सामाजिक गन्दगी का पतन हो | आज इस राष्ट्र में नयी ऊर्जा डालने का काम किया है इस भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन ने और अब इस आंदोलन को चलाने वालों पर एक और बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि वो जनता को निराश किये बगैर भारतीय राजीनित कि तरफ अपना रुख करें | आपका राजीनीतिक मंच उन लोगो को पोषित करने के काम आएगा जो ह्रदय से इस राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहते हैं | दूसरी राजनितिक पार्टियों में जो लोग अपने अच्छे विचारों के कारण उच्च पदों से वंचित रह जाते हैं उन्हें भी राष्ट्र के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा इस नयी राजीनीतिक पार्टी से | इस विश्वास के साथ कि अन्ना टीम इस राष्ट्रीय आवश्यकता को समझते हुए अपनी जिम्मेदारी के अनुरूप आगे बढकर इस राष्ट्र को एक शशक्त राजीनीतिक पार्टी का निर्माण करेगी मैं अपनी शुभकामनाओं के साथ अपनी लेखनी को यहीं विराम देता हूँ | जय जवान | जय किसान | जय विज्ञान | जय भारत |
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