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09-13-2011
shambhuji's Avatar
shambhuji
Member
 
: Jun 2011
: Kolkata
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Talking व्यंग्यःवेटिंग पीएम की करप्शन यात्रा

कोलकाताः सोमवार 13.09.2011
आडवाणी जी ने राम जन्मभूमि रथ यात्रा निकाली थी, राम मंदिर तो नहीं बना सके। हाँ! इस यात्रा को लालू ने बीच में रोक दिया। आज भी लालूजी इसका दंभ गाहे-बगाहे भरते ही रहते हैं। इसके बाद भी आडवाणी जी कई मुद्दों को इसी प्रकार चुराते रहें हैं और अपना सपना साकार करने में लगे रहे। यह अलग बात है कि इनको अभी तक इसमें कामयाबी नहीं मिली है और शायद इनके जीते-जी इनको मिलनी भी नहीं है। देश के इतिहास में इनका इकलौता नाम पीएम इन वेटिंग में लिखा रह जाएगा।

पीएम इन वेटिंग श्री लालकृष्ण आडवाणी कि उम्र महज 84 साल की हुई है कहावत है बूढ़ा चौठिया गए। (सठियाना 60 साल में तो हिन्दी में 84 को चौठियाना कहा जायेगा शायद) कब्र में पांव लटकने लगे हैं पर अभी भी सह देने की तैयारी करने में लगे हैं। कहावत है ‘‘चोर चोरी से जाए पर हेरा-फेरी से ना जाए’’ अब आप बोलेगें कि इस कहावत का आडवाणी जी से क्या मेल? इन्होंने देश में जितने रथयात्रा के रिकॉर्ड बनाये हैं उसे तोड़ने का साहस भविष्य में कोई नहीं कर पायेगा। बाबा रामदेव जी ने भी भारत स्वाभिमान के तहत देशभर का दौरा किया था, उनको लगने लगा कि सारा भारत उनके हुक्म का गुलाम हो चुका है सो अन्ना जी को अपना मंच देकर उन्होंने बहुत भारी गलती की थी, को सुधारने के लिए रामलीला मैदान में अपनी शक्ति दिखाने लोगों को जमा कर लिये। शाम होते-होते सरकार को इस प्रकार लताड़ने लगे कि यदि बाबा रामदेव को किसी ने छूने का भी प्रयास किया तो देश में मानो कोई सुनामी आ जाऐगी। रामलीला मैदान में बाबा का क्या हर्ष हुआ जो हमलोगों के सामने है। सरकार ने जिस तरह मेहमान नवाजी फिर डण्डा नवाजी का सहारा लिया, अभी तक बाबा इस बला से पिण्ड नहीं छुड़ा पाये हैं। रोजाना हनुमान चालिसा का पाठ करने में लगे हैं। सरकार परत-दर-परत उनकी बखिया उधेड़ने में लगी है। आपने भी सुना ही होगा मधुमक्खियों के खोते को छेड़ने का क्या परिणाम होता है।
खैर! बाबा रामदेवजी से हमारी पत्नी भी बहुत सहानुभूति रखती है इसलिए ज्यादा कुछ लिखा तो हमारे घर का खोता भी भिनभिनाने लगेगा। फिर सरकार क्या कोई भी मुझे नहीं बचा पाएगा।
बाबा रामदेवजी नाम के एक देवता राजस्थान में होते हैं जिसकी हर राजस्थानी परिवारों में बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा हुआ करती है। कहते हैं कि रामदेवजी बाबा सारे रोगों का निदान कर देते हैं मुझे भी एक-दो बार रामदेवजी बाबा के मंदिर में जाना पड़ा था। एक बार मेरी बच्ची को डेंगू हो गया था तब और दूसरी बार मेरे सर पर एक फूंसी ने अपना ज्वालामुखी रूप धारण कर लिया था तब। इसी प्रकार कलयुग में भी कोई भी व्यक्ति बाबा रामदेवजी के नाम से रोग का निदान करना चाहेगा तो उसे भी तत्काल लाभ मिलता है। हमारे कोलकाता में भी एक बंगाली डाक्टर रामदेवजी बाबा की पूजा करने के बाद ही दवा देते हैं लोगों को उनकी दवा से ज्यादा रामदेवजी बाबा पर विश्वास है मरीज को लाभ भी मिलता है। चमत्कार को नमस्कार सब कोई करते हैं। हम उल्लू की तरह सोचते रहतें हैं।
खैर! इसे भी छोड़ देता हूँ। आप भी सोचेगें कि आडवाणी जी की बात शुरू कर बात को बदल दिया। आडवाणी जी ने राम जन्मभूमि रथ यात्रा निकाली थी, राम मंदिर तो नहीं बना सके। हाँ! इस यात्रा को लालू ने बीच में रोक दिया। आज भी लालूजी इसका दंभ गाहे-बगाहे भरते ही रहते हैं। इसके बाद भी आडवाणी जी कई मुद्दों को इसी प्रकार चुराते रहें हैं और अपना सपना साकार करने में लगे रहे। यह अलग बात है कि इनको अभी तक इसमें कामयाबी नहीं मिली है और शायद इनके जीते-जी इनको मिलनी भी नहीं है। देश के इतिहास में इनका इकलौता नाम पीएम इन वेटिंग में लिखा रह जाएगा।
श्री अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में उभरते जन सैलाब को देख आडवाणी जी के मूँह में पानी आना स्वभाविक है। इस जन सैलाब को भाजपा का वोट बैंक कैसे बनाया जाए इसमें कोई आगे बढ़ता है तो किसी को क्या क्षति हो सकती है भला? जिस भाजपा ने जन लोकपाल बिल को लेकर संसद के बाहर और भीतर दबी जबान से न सिर्फ विरोध का रूख बनाये रखा और एक प्रकार से सरकारी बिल का समर्थन ही किया, ने भी संसद को जन संसद से बड़ी मानकर खुद को पिछले खंभे से बांधे रखे रहे, मानो किसी को इनके चरित्र की भनक न लग जाए। अब इनको ऐसा लगता है कि श्री अन्ना हजारे अकेला इतनी बड़ी ताकत के रूप में उभर कर सामने आ सकतें हैं तो उनके देश भ्रमण से पहले ही इस मुद्दे को क्यों न चुरा लिया जाए ताकी भ्रष्टाचार के नाम पर देश की जनता को एक बार फिर से मूर्ख बनाया जा सके। भाजपा यदि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के प्रति इतनी ही ईमानदार दिखती है तो सबसे पहले न सिर्फ सत्ता से ऐसे लोगों को वैदखल कर इन चेहरों को पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखाए, परंतु शायद ही इनकी पार्टी यह कार्य कर पायेगी। कहावत है कि ‘‘हमाम में सब नंगे हैं।’’ इसी बात को राजस्थानी में कहा जाता है -‘‘गाभां में सै नागा’’ अर्थात कपड़े के पीछे सब नंगे हैं। लेखक- शंभु चौधरी, कोलकाता।