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अन्ना अब भाजपा भूमि अधिग्रहणमे संशोधन करनभ्रष्टाचारके खिलाफ जेहाद जगानेवाले अन्ना अब सिर्फ ८ माह पुरानी भाजपा भूमि अधिग्रहणमे संशोधन करनेके खिलाफ आंदोलन करनेको उतावले हो ..... |
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अन्ना अब भाजपा भूमि अधिग्रहणमे संशोधन करन
भ्रष्टाचारके खिलाफ जेहाद जगानेवाले अन्ना अब सिर्फ ८ माह पुरानी भाजपा भूमि अधिग्रहणमे संशोधन करनेके खिलाफ आंदोलन करनेको उतावले हो रहे है तो भाजपाको भ्रष्टाचार मुक्त सरकारका प्रमाणपत्र मिल गया है, अन्नाजी आभार…!!! पहले अन्ना का आंदोलन कांग्रेस सरकारके भ्रष्टाचारके खिलाफ था जो सबको साफ नजर आता था इसीलिए सफल हुआ इस बार राजकारणी मुख्यमंत्री केजरीवाल भी उनके साथ मंच पर दिखा देंगे तो ये आंदोलन के बजाय अस्थिरता लानेकी राजकीय चाल नजर आती है क्यूंकि कोई भी सरकार सिर्फ ९ महीनेमें बदलाव नहीं ला सकती. साम्यवादी विचारधाराको दुनिया और हिंदुस्तान दोनों नकार चुके है जो सिर्फ दौलत को बाँटना जानते है किन्तु धन उपार्जन पर जोर नहीं देते. सब जानते है की अन्ना और केजरीवाल दोनों साम्यवादी विचारधारा रखते है. याद रहेकी लोकसभा चुनावमे अन्नाने साम्यवादी मुख्यमंत्री ममताको समर्थन दिया था स्वतंत्रका के बाद लगातार भूमि अधिग्रहण होता रहा है फिरभी कृषि पैदावार नए संशोधनके कारण बढ़ती रही है तो भूमि अधिग्रहण के कारण कृषि उत्पाद काम होगा वो दलील गलत है गुजरात औद्योगिक राज्य है किन्तु उसकी भूमि अधिग्रहण नीतिको उच्च अदालतने सराहा है पिछले दशकमें गुजरातका कृषि विकास लगातार ८/९ प्रतिशत रहा है. जो सराहनीय है विरोधी दलोका रवैया विरोधाभासी रहा है एक और वे भाजपा सरकारने ९ महिनीमे कुछ नहीं किया कहके टिका करते है दूसरी और भूमि कायदेमे संशोधनका विरोध करते है जो बुनियादी परियोजनाओको बढ़ावा देगा पर्यावरणवादी और अभी अन्ना किसान और आदिवासिके हक़ में आंदोलन करते है किन्तु भूलते हैकि उन्हें जमीनके दाम बाजार भावसे ४ और २ गुना गांव और शहरमें ज्यादा मिलेंगे ज्यादतर लोग इसे सहमत होते है किंतु सिर्फ विरोध करनेके चलते विरोधी दल और आंदोलनकारी उन्हें लालच देके उत्तेजित करते है जो परियोजनामे रूकावट डालती है आखिरकार उन्हें और समूचे राष्ट्रको नुकसान करता है. ईश्वर या प्रकृतीने ये सब संसाधन दिखावेके लिए नहीं बल्कि उसका मनुष्य द्वारा अनुशासनसे उपयोग करनेके लिए ही बनाया है जब उसका सालो साल उपयोग होगा तो उसका असर पर्यावरण, ऋतुचक्र पर होना ही है. क्या आपको लगता है की प्रकृतीने ये सब बनाया तो वह उसके दुष्प्रभावसे अनजान होगी? प्रकृतिके आगे हम कुछभी नहीं है. प्रकृति ऐसे दुष्प्रभाव को ध्यानमे रखते हुए खुद्की मरम्मत प्रणाली रेहतीही है तो हमें उस बारेमे ज्यादा सोचनेकी जरुरत नहीं मनुष्यने आदि जातिसे सभ्य समाजकी और प्रगति की है तो विकास करना उसके खूनमे है मुड़ीवाद समाजके लिए है जिसका मतलब है धन उपार्जित करना जब आबादी बढ़ेगी जरूरते पूरी करनेके लिए संसाधन और धनकी जरुरत पड़ेगीही पर्यावरणवादी कभी भी अपनी आवाज बढ़ती अबादीके खिलाफ नहीं उठाते जो संसाधनकी जरुरियातोका मूल कारण है जो विद्युत या खान परियोजना का विरोध करते है उन्हें पेहले ये सब संसाधन के उपयोग बंद करनेके बाद ही अपना आंदोलन चलानेका हक़ है |