India Against Corruption

Register

  India Against Corruption > INDIA AGAINST CORRUPTION > Anna Hazare
New Topics

हम लाये हैं तूफान से...

कोलकाता: 21 अगस्त 2011 रविवार रात्रि 11 बजे। श्री कुंवर प्रीतम जी की एक मुक्तक से आज का लेख शुरू .....




  #1  
08-22-2011
shambhuji's Avatar
Member
 
: Jun 2011
: Kolkata
:
: 39 | 0.01 Per Day
Post हम लाये हैं तूफान से...


कोलकाता: 21 अगस्त 2011 रविवार रात्रि 11 बजे।
श्री कुंवर प्रीतम जी की एक मुक्तक से आज का लेख शुरू करता हूँ-
सितम की वादियों में गुल नया हमको खिलाना है
चमन को आज माली से खुद हमको ही बचाना है।
नुमाइंदे बने दुश्मन अपने देश के यारो,
हरेक आघात का प्रतिघात अब करके दिखाना है।। -कुंवर प्रीतम
इस लेख को अब कोई अपनी आंखें बन्दकर के भी पढ़ेगा तो ईश्वर उसको भी सम्मति देगा। कलतक जो लोग अन्ना हजारे पर अंगुलियां उठाने का साहस कर रहे थे। आज मुम्बई के आजाद मैदान और दिल्ली के रामलीला मैदान से लेकर भारत के शहर-शहर, गांव-गांव में उमड़ा जैन सैलाब एक ही नारे से सारा दिन गूंजता रहा ‘‘अन्ना तुम आगे बढ़ो - हम तुम्हारे साथ हैं।’’ रामलीला मैदान से श्री अन्ना हजारे ने फिर से यह बता दिया कि यह लड़ाई इतनी आसान नहीं है। इसके लिए उन्होंने देश की जनता को कहा - शुद्ध आचार-शुद्ध विचार, निष्कलंक जीवन और थोड़ा सा त्याग करना। साथ ही देश की जनता को आह्वान किया की अभी हमको देश के किसानों की लड़ाई भी मिलकर लड़नी होगी। हमें देश में परिवर्तन की क्रांति लानी होगी। उमड़ते जनसैलाब ने सारे देश को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। जो लोग कल तक श्री अन्ना और सिविल सोसायटी के सदस्यों को एक भीड़ की संज्ञा देकर अपने तर्क से देश के कानून की दुहाई दे रहे थे, आज ऐसे लोगों की जबानों पर माना किसी ने ताला जड़ दिया है।
लिखने वाले कलमकारों को देश की सच्चाई लिखने के लिए बाध्य होना पड़ा। कल तक जो पत्र सरकारी दलाल बने हुऐ थे उनके समाचार पत्रों को भी सारे समाचार मजबूरन छापने पड़े। सरकार सोचती रही कि देश की जनता गूंगी है उसको सिर्फ राजनैतिज्ञ ही जबान दे सकते हैं के सारे मनसुबे पर पानी फिर गया। कांग्रेस सहित तमाम राजनैतिक दलों की जमीन सरकती नजर आने लगी। देश के पिछले 100 वर्षों के इतिहास में या आजादी के पहले और आजादी के बाद न किभी किसी ने इस तरह का जन सैलाब देखा है न आगे देखने को मिलेगा। यह एक नया इतिहास भारत की धरती पर रचा जाने लगा है। जो विशुद्ध देश के राजनेताओं के वैगेर लड़ा जा रहा है। जिसमें देश की तमाम सियासी पार्टियां अभी तक खुद को इस आंदोलन से अलग-थलग पाती है। इसे इस तरह लिखा जाए तो ज्यादा उचित प्रतीत होता है कि श्री अन्ना जी ने अपने मंच का प्रयोग इन राजनैतिक नेताओं को नहीं करने दिया।
आज जब रामलीला मैदान से श्री अन्ना जी कहा कि ‘‘जन लोकपाल लाओ या फिर जाओ’’ तो सारा हिन्दुस्तान तालियों की गूंज से गूंज उठा। श्रीश्री रविशंकर जी ने यहाँ तक कह दिया ‘‘समय हाथ से निकलते जा रहा है।’’ देश में इस बात के कई मायने लगाये जाने लगे हैं। इस समय जो लोग नियम कायदे की बात कर रहे हैं वे ही लोग दिनभर उसी संसद में बैठकर सारे कायदे-कानून तौड़ते रहे हैं। जो लोग नैतिकता का पाठ जनता को सिखा रहे हैं। उनकी खुद की नैतिकता तब कहाँ चली जाती जब वे सरकारी मेहमान नबाजी का लुफ्त उठाते हैं?
दोस्तों! कुछ बातें इतिहास तय करती है कि क्या गलत हुआ और क्या सही। जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस से खुद को अलग कर ‘‘आजाद हिन्द फौज’’ का गठन कर यह नारा दिया कि ‘‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’’ तो इसी तरह उस समय भी कांग्रसियों ने उनका जमकर मजाक उड़ाया था। जब खुदीराम बोस मुज्जफ्फरपुर जाकर अंग्रेज के एक जज पर गोली चलाई तो इन लोगों ने उसे पागल करार दे दिया था। कोई भी स्व.बोस को बचाने के लिए एक शब्द तक नहीं कहा यहाँ तक की गांधी जी ने भी नहीं। लोगों को यह विश्वास था कि शायद अंग्रेज गांधी जी के कहने से खुदीराम की सजा आजीवन कारावास में बदल दें, परन्तु किसी ने जबान तक नहीं खोली।
दोस्तों! समझदारों की हद हो सकती है परन्तु पागलपने की कोई हदें नहीं हुआ करती। सोच समझकर कोई जनसैलाब न तो कभी खड़ा किया गया है न ही किया जा सकता है। देश में उमड़ता यह जन सैलाब इस बात का प्रमाण है कि एक तरफ सरकार के समझदार व पढ़े लिखे लोग हैं जिनको नियम कायदें का पालन करना है व दूसरी तरफ पागलपन। देश में उमड़ता जन सैलाब, मानो जन-सुनामी बन गया है जो भारत में किस-किसको अपने आगोश में बहा ले जायेगी किसी को पता भी नहीं चलेगा। सबके सब सोचते ही रह जाएंगें और कब इस सुनामी के भैंट चढ़ जाएंगें।
आज न सिर्फ सोचने का समय है हमें सावधान होकर लिखने का भी वक्त है। देश के हर जिम्मेदार नागरिक का यह दायित्व बनता है कि पहले हम अपने देश को इस जन-सुनामी से बचाऐं। इस वक्त राजनीति और राजनैतिक दलों की विचारधाराओं को ताक पर रखकर सबको सामने आना चाहिए। जो दल आज के समय इसमें राजनीति करने का प्रयास करेगा वह देश को जन-सैलाब को आग में धकेलने का काम करेगा। अभी तक यह आन्दोलन श्री अन्ना हजारे व इनके सदस्यों के नियंत्रण में है। अहिंसक है। गांधी टोपी में है। यदि किसी ने भी किसी भी तरह से बचकानी हरकतें की या जैसे पूर्व में कांग्रेस की तरफ से बचकाने बयान दिए गए। एक छोटी सी भी चुक चाहे वह किसी भी राजनैतिक दल से ही क्यों न हो देश को उदेल कर रख देगी। अतः बड़ी सावधानी से हमें इस अंगड़ाई लेते जन-सैलाब के सामना करना होगा। मुझे आज यह लिखना पड़ रहा है। कल तक मेरी कलम की धार बहुत तीखे और नुकेली थी परन्तु आज मैं देश के युवकों से इन पंक्तियों के साथ निवेदन करुंगा -
हम लाये हैं तूफान से किस्ती निकाल कर,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर।

Last edited by shambhuji; 08-22-2011 at 07:40 AM : mistek

 




India Against Corruption
India Against Corruption is a PUBLIC Forum, NOT associated with any organisation(s).
DISCLAIMER: Members of public post content on this website. We hold no responsibility for the same. However, abuse may be reported to us.

Search Engine Optimization by vBSEO 3.6.0