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  #1  
10-09-2012
Pankaj Verma
Junior Member
 
: Oct 2012
: Ahmednagar, Maharashtra
: 49
:
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अरविन्द मोहनदास शास्त्री

देश को एक दूसरा शास्त्री मिल गया है. हमारे देश वासियों के लिए एक सुखद संदेश है कि देश के पटल पर एक दूसरा शास्त्री उभर कर आ गया है, जो कि इस रिलिटी शो के दौर में रियल शो करना चाहता है, और देश के आम दर्द को अपना दर्द समझ कर उसके निदान के लिए निकल पड़ा है.

आज वे भ़ारतीय जो अपनी मातृ अस्मिता को खूद लूट रहे हैं और खुद को देश के नेता कहलाते हैं, उन जैसे आदमखोरों के खिलाफ एक दुबले पतले शास्त्री सरीखे आम आदमी ने आवाज बुलंद कर रखी है, उसका क्या हश्र होने वाला है, हम सब अनुमान लगा सकते हैं. हम आम भारतवासी तुम्हारी इस जुनून को सलाम करते हैं. ए व्यक्ति देश की इस दशा को भावनाओं से जोड़कर देखने कि जुर्रत कर रहा है, जो की इसे नही पता कि भावनाएं तो आजकल बेचने कि चीज हो कर रह गयी हैं ना कि उसपर आन्दोलन चलाया जा सके. ऐ मेरे भाई तू दिखता शास्त्री जैसा है, पहनता गाँधी टोपी है, देश की राजनीति में 2 अक्टूबर को कदम रखता है, आखिर तुम्हारा इरादा क्या है? कहीं इन दोनों महापुरुषों को इस गद्दारों से भरे आज़ाद भारत में फिर से अवतरित करने का इरादा तो नही है?

वैसे तुमसे प्यार तो बहुतायत में भारतीय करते हैं, मगर इन गद्दारों पर भरोसा करना खतरे से खाली नही है, क्योंकि एक को तो देश में ही मार दिया और एक भले को विदेश में, और कहीं तुम्हे सारे आम जीते जी ना मार दें! मगर जो भी हो तुम्हारे जज्बे को सत सत नमन करने का दिल करता है. जब जज्बा और जुनून इस पर्वंगी तक हो तो करवान बन ही जाता है मेरे भाई. मेरे हिसाब से तो तुम्हारा नाम "अरविन्द मोहनदास शास्त्री" होना चाहिए.