View Single Post
  #9  
08-06-2012
hiteshray1
Junior Member
 
: Aug 2012
: Delhi
: 46
:
: 3 | 0.00 Per Day

प्रिये मित्रों,

इतिहास गव्हा है की पूरी दुनिया मैं पर्त्येक क्रांति के बाद हमेसा एक मजबूत राजनेतिक नेत्रित्व का जनम होता है, भारत की आजादी की लड़ी का अंत कांग्रेस के जनम के साथ हुआ और वो पार्टी देश के पहली रुल्लिंग पार्टी बनी, और बांकी पार्टियों ने विपक्ष की भूमिका निभाई, राजनीती एक ऐसा दलदल है जिसमे जाने के बाद लगभग लोगों का दामन दाग दार हो जाता है, आज भले अन्ना जी का फैसला भी इसी बात की मिस्साल है की उन्होने कई लोगों के दवाव मैं आने के बाद अनसन तोड़ने और राजनेतिक पार्टी बनाने का फैसला लिया, सही बात तो यह है की अगर आना जी रेगिस्तान मैं से भी क्रांति का आवाहन करें तो पूरा देश उनके साथ हो लेगा, इसलिए टीम अन्ना को दो गुटों मैं बंट जाना चाहिए पहला अन्ना जी जो की पुरे देश मैं घूम घूम कर भ्रस्ताचार के खिलाफ लोगों को एक जुट करें और अरविन्द जी और बांकी लोग दुसरे गुट मैं इस देश के लीये नया और ईमानदार और ताकतवर नेत्रित्व को तैयार करें जो की वक़्त आने पर देश के अन्द्र्रुनी मुद्दों के साथ साथ चीन और पर्किस्तान को भी करारा जवाव दे सके, हो सकता है की इन सब मे वक़्त लगेगा पर देर सबेर मजिल मिल जाएगी...

धन्येवाद