कोर-कमेटी ‘कन्फ्यूज़’ क्यो है ?
कोर-कमेटी ‘कन्फ्यूज़’ क्यो है ? उसके पास है, अनायास जे.पी. के नेतृत्व मे आ गये ‘छात्र आन्दोलन’ के सक्रिय लोगो मे से एक श्री शान्ति भूषण जी जिन्हे पर्याप्त इस बात का अनुभव है कि कैसे ‘जनता बनाम सरकार का आन्दोलन, जनता बनाम काग्रेस’ का आन्दोलन हो गया था। क्या अब भी कुछ बताने को बच गया है ? वही कहानी फिर दोहराई नही जा रही है ? अरविन्द केजरीवाल का भ्रष्टाचार के विरुद्ध आक्रोश, किरन बेदी का विश्वसनीय साथ, शान्तिभूषण जी का पूर्व अनुभव, प्रशान्तभूषण की कानूनी पकड़ आदि आज किसी काम क्यो नही आ रही, सिर्फ इसलिए कि इतिहास को झुठलाना आसान नही होता, और पुरानी भूल को दोहराना तो क्षम्य भी नही होता! ‘काले धन को वापस लाने’ का बाबा रामदेव का वर्षो का प्रयास जब आन्दोलन की शक्ल तक पहुचा तो संयोग से भ्रष्ट राजनीतिज्ञो से निपटने का पर्याप्त अनुभव रखनेवाले श्री अण्णा हजारे का नेतृत्व भी भ्रमित उसी दिन हो गया जब वह रामलीला मैदान की ओर कूच कर गया। एक ओर रामदेव बाबा को स्त्री-वेष धारण करना पड़ा तो दूसरी ओर अनशन बीच मे ही छोड़ कर अण्णाजी को स्वास्थ्य लाभ के लिए आन्दोलन छोड़ना पड़ा। यह सब क्या है ? क्या जे.पी. आन्दोलन की तरह ही ‘जनता बनाम सरकार’ की लड़ाई ‘जनता बनाम काग्रेस’ की लड़ाई नही बन रही है या बनने जा रही है ? कोर कमेटी के लोगो की यह सफाई अब किसी काम नही आनेवाली कि ‘चूकि, काग्रेस की सरकार है इसलिये उसकी बात हो रही है’।
इन पक्तियो का लेखक वही है जो कभी ‘छात्र आन्दोलन’ का सिपाही था और आज ‘इण्डिया अगेन्स्ट करप्शन’ का सदस्य बना हुआ है। सत्तर से अधिक आयु का है अवश्य, लेकिन उसका आक्रोश, जोश और होश बरकरार है। जेल-चलो के आह्नान पर अपनी स्वीकृति ‘नेट’ पर देने के बाद उसे जो आशंकाए बनी हुई थी, वह आज सामने आ रही है। एक प्रश्न है, वर्तमान मे पाच-राज्यो के चुनाव से भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रहे इस आन्दोलन का क्या लेना-देना ? अण्णाजी को स्वस्थ होने दे, रामदेव जैसे लोगो को साथ लेकर जनान्दोलन को सशक्त करे, जनाक्रोश को शान्त न होने दे, सभाए करते रहे और जागरण करते रहे, अभी काम बस इतना ही है। कोर-कमेटी की तत्काल बैठक या बैठको से कुछ नही होनेवाला। जल्दबाजी फिर हुई तो ससद-सत्र के दौरान जैसे राजनेताओ ने जो कर दिखाया उससे अधिक वे कुछ कर भी नही सकते। जो कुछ करना है जनता करेगी लेकिन उसे गान्धी, पटेल जैसा नेतृत्व चाहिए और संयोग से जब अण्णा जैसा नेतृत्व उसे दिखने लगा है तो कृपा होगी अगर अबसे भी कथित ‘कोर कमेटी’ अपना उतावलापन छोड़ दे।
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