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  #2  
03-01-2011
khandodia
Junior Member
 
: Mar 2011
:
: 4 | 0.00 Per Day

मौन है

मूक देख रहा
शहिद बेचारा मौन है
देख कर देश की हालत
सोच रहा
भ्रष्टाचार रुके
इस देश में
चाहता कौन है
पछता रहा
खोकर अमोल जवानी
उसे पता है जवानी का क्या मोल है
भ्रष्टचार रुके इस देश में चाहता कौन है
देख कर आज
अपने कर्मचारियो अधिकारिओ नेताओ की करनी
सोचता होगा
इस दुनिया में बलिदानों का क्या मोल है
रुके बेईमानी, भ्रष्टआचार
यहा चाहता कौन है
न्याय मांगने वालो से लेकर
न्याय देने वालो तक
लिपटे नज़र आते है
पिडित तो उस दिन से अब तक
पिडित ही नज़र आते है
उनकी पीड़ा मिटे
aअपने देश में भला
चाहता कौन है
इसलिए शहिद बेचारा मौन है .